मर रहे है, मरते रहेंगे,
लोग बेबसी के मारे।
टूट रहे है, टूटते रहेंगे,
ख्वाब मायूसी के मारे।
और हम खड़े है लेकर,
दिन में रातों के अंधेरे।
कब न जाने लूट जाए,
जिंदगी काले लूटेरे।
- निशिता चौधरी।
लोग बेबसी के मारे।
टूट रहे है, टूटते रहेंगे,
ख्वाब मायूसी के मारे।
और हम खड़े है लेकर,
दिन में रातों के अंधेरे।
कब न जाने लूट जाए,
जिंदगी काले लूटेरे।
- निशिता चौधरी।